एक ट्वीट ने छेड़ा राजनीतिक तूफान, 18 लोगों की मौत के बाद जिम्मेदारी से भागने का आरोप
घटना का संक्षिप्त विवरण
15 फरवरी 2025 की रात, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 18 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जिनमें 5 बच्चे और 11 महिलाएं शामिल थीं। यह घटना महाकुंभ के लिए प्रयागराज जा रहे यात्रियों की भीड़ के कारण हुई। प्लेटफॉर्म 13 और 14 पर भगदड़ मचने से सैकड़ों लोग घायल हुए, जिन्हें लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया।
मुख्य बिंदु:
- समय और स्थान: शनिवार रात करीब 9:55 बजे, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म 12, 13, 14।
- कारण: ट्रेनों में देरी, प्लेटफॉर्म पर अतिरिक्त टिकटों की बिक्री, और भीड़ नियंत्रण की कमी।
- पीड़ित: 18 मृत (9 महिलाएं, 4 पुरुष, 5 बच्चे), 15+ घायल।
LG के ट्वीट पर विवाद: ‘दुर्घटना’ या ‘अनहोनी’?
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने घटना के बाद ट्विटर पर एक संवेदनशील पोस्ट किया, जिसे बाद में एडिट कर दिया गया।
ट्वीट का सफर:
- पहला संस्करण: “प्लेटफॉर्म पर अव्यवस्था और भगदड़ के कारण जानमाल का नुकसान हुआ। मैं शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ा हूं।”
- संपादित संस्करण: कुछ मिनटों बाद, “यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। मैंने मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त से बात की है।” मृतकों का जिक्र हटा दिया गया।
आप का आरोप:
- AAP ने LG और केंद्र सरकार पर जिम्मेदारी से भागने का आरोप लगाया।
- “LG का यह ट्वीट दिखाता है कि वे अपनी जिम्मेदारियों से कितना डरते हैं,” — AAP का बयान।
राजनीतिक आग में घी: विपक्ष vs सरकार
आम आदमी पार्टी (AAP) की प्रतिक्रिया
- अरविंद केजरीवाल: “प्रयागराज जा रहे भक्तों की मौत दुखद है। यह सरकारी लापरवाही का नतीजा है।”
- मनीष सिसोदिया: “AAPda (आपदा) शब्द BJP ने हमें बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया, लेकिन असली आपदा तो उनकी नीतियां हैं।”
- राघव चड्ढा: “11 फरवरी को संसद में मैंने रेलवे प्रबंधन को चेतावनी दी थी, लेकिन सरकार ने अनसुना कर दिया।”
कांग्रेस और अन्य दलों की आलोचना
- राहुल गांधी: “रेलवे और सरकार की संवेदनहीनता ने इस त्रासदी को जन्म दिया।”
- लालू प्रसाद यादव (RJD): “रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को इस्तीफा देना चाहिए। कुंभ का कोई मतलब नहीं, यह फालतू है।”
BJP का पलटवार
- BJP प्रवक्ता अजय अलोक ने विपक्ष को “राजनीतिक गिद्ध” बताया और कहा, “जिम्मेदारी तय की जाएगी, लेकिन क्या विपक्ष ने अस्पताल जाकर घायलों को देखा?”
भगदड़ के पीछे क्या था मुख्य कारण?
- ट्रेनों में देरी: स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी में 10 घंटे की देरी ने भीड़ बढ़ाई।
- प्लेटफॉर्म पर भ्रम: ‘प्रयागराज एक्सप्रेस’ और ‘प्रयागराज स्पेशल’ के नामों में उलझन से यात्री प्लेटफॉर्म 14 से 16 की ओर भागे।
- अतिरिक्त टिकट बिक्री: 1,500 जनरल टिकट प्रति घंटे बेचे गए, जिससे प्लेटफॉर्म पर दबाव बढ़ा।
- सीढ़ियों पर फिसलन: प्लेटफॉर्म 14-15 को जोड़ने वाली सीढ़ियों पर लोग फिसले, जिससे ऊपर-नीचे दौड़ शुरू हुई।
जांच की कार्रवाई:
- रेलवे ने दो सदस्यीय कमेटी गठित की।
- CCTV फुटेज और यात्रियों के बयानों का विश्लेषण चल रहा है।
पीड़ितों के लिए राहत और मुआवजा
- मृतकों के परिवार: ₹10 लाख।
- गंभीर रूप से घायल: ₹2.5 लाख।
- मामूली चोट: ₹1 लाख।
- दिल्ली सरकार की ओर से: AAP नेता अतिशी ने अस्पताल पहुंचकर पीड़ित परिवारों से बात की।
क्या सबक मिले इस त्रासदी से?
- भीड़ प्रबंधन: महाकुंभ जैसे आयोजनों के दौरान अतिरिक्त सुरक्षा और ट्रेन शेड्यूलिंग की जरूरत।
- सोशल मीडिया जिम्मेदारी: LG के ट्वीट संपादन ने सवाल खड़े किए कि क्या अधिकारी त्रासदी को हल्का करने की कोशिश कर रहे थे।
- राजनीति vs संवेदना: विपक्ष और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने पीड़ितों के दर्द को राजनीतिक हथियार बना दिया।
निष्कर्ष: एक सवाल जो बाकी है…
“क्या दिल्ली जैसे महानगर में भीड़ प्रबंधन इतना कमजोर है कि निर्दोष लोगों की जानें चली जाएं?” — यह सवाल हर नागरिक और नेता को खुद से पूछना चाहिए। जब तक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं होगी, ऐसी घटनाएं दोहराती रहेंगी।
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